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2024-05-05
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शोधा
खात्यात प्रवेश
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माझा कौल
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¤विश्वकोष ¤

कविता







जयोऽस्तु ते

जयोऽस्तु ते! जयोऽस्तु ते!
श्री महन्मंगले शिवास्पदे शुभदे
स्वतंत्रते भगवती त्वामहम् यशोयुतां वंदे!
गालावरच्या कुसुमी किंवा कुसुमांच्या गाली
स्वतंत्रते भगवती तूच जी विलसतसे लाली
तू सूर्याचे तेज उदधीचे गांभीर्यही तूची
स्वतंत्रते भगवती अन्यथा ग्रहण नष्ट तेची
वंदे त्वामहम् यशोयुतां वंदे!



मोक्ष-मुक्ती ही तुझीच रूपे तूलाच वेदांती
स्वतंत्रते भगवती योगिजन परब्रह्म वदती
जे जे उत्तम उदात्त उन्नत महन्मधुर ते ते
स्वतंत्रते भगवती सर्व तव सहचारी होते
वंदे त्वामहम् यशोयुतां वंदे!

                                    
                                   -विनायक दामोदर सावरकर.